शब्दों की अनन्त कथा

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शब्दों की अनन्त कथा ----------------------- वाणी की अनुकम्पा से बहती शब्दों की अविरल धारा। पतितपावनी गंगा जैसी बहती निर्मल पावन धारा।। वेद ऋचाओं से निकली है शब्दों की सुन्दर माला। सरस्वती की अनुकम्पा से प्राप्त हुई ज्ञान की शाला।। सुरसरस्वती के श्लोकों से सजी सुभाषित माला। शब्दब्रह्म से नि:सृत होती ज्ञान-विज्ञान की मधुशाला।। राम शब्द की अद्भुत महिमा रामायण ने गाई है। और स्वयं योगेश्वर ने ही भगवद्गीता गाई है।। ज्ञान,कर्म और भक्ति की अभिव्यक्ति का शब्द आधार। काव्य,शास्त्र और संगीत का शब्दकोश है पारावार।। जीवन का व्यवहार समूचा शब्दों पर आधारित है। जीव-ब्रह्म की एकरूपता शब्दों पर आधारित है।। हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता तद्वत् शब्द की कथा अनन्ता। स्वर्ग और अपवर्ग सभी कुछ शब्दब्रह्म की कथा अनन्ता।।
रचनाकार-- महेश खण्डेलवाल (भवानी मण्डी )
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Key Points
- शब्दों की शक्ति का जीवन में महत्त्व.
